Class 11 Hindi NCERT Summary त्रिलोचन “चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती ” व्याख्या 

Class 11 Hindi NCERT Summary त्रिलोचन “चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती ” व्याख्या 

 त्रिलोचन 

“चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती “

कविता का सार

प्रस्तुत कविता प्रस्तुत कविता “चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती” कवि “त्रिलोचन” हैं कवि ने इस कविता के माध्यम से लोक भावना का चित्रण किया हौ इस कविता में सुंदर नाम का एक ग्वाला दूध बेचने वाला है जिसकी लड़की बेटी का नाम चंपा है उसका जिक्र करते हुए कवि  लिखते हैं की ग्वाले की लड़की का नाम चंपा है और वह अपनी गाय चराने जाती है। वह बिल्कुल पढ़ी-लिखी नहीं है उसे इन काले अक्षरों का ज्ञान उसको नहीं है इनके सवारों पर आश्चर्य होता है।वह कभी कवि की कलम चुरा लेती है तो कभी कागज चुरा लेती है छुपा कर रख देती है लेखक को गोदने (यानी लिखने) की शिकायत भी करती है।कवि उसे समझता है की पढ़ाई कर ले,पढ़ना लिखना सीख ले, गांधी बाबा भी यही कहा करते थे लेकिन चंपा पढ़ने लिखने से मना कर देती है। कवि  उसे समझाता है कि जब तेरा विवाह हो जाएगा और कुछ तेरे पति तेरे साथ रहेंगे उसके बाद पति कोलकाता कमाने चले जाएंगे। तब उसे पत्र कैसे लिखेगी,इस बात को लेकर चंपा कहती है कि वह अपने बालम (पति) को कोलकाता नहीं जाने देगी,उसे अपने पास ही रखेगी।

Class 11 Hindi NCERT Summary त्रिलोचन "चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती " व्याख्या 
Class 11 Hindi NCERT Summary त्रिलोचन “चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती ” व्याख्या 

1.   चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती

      मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है

      खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है

      उसे बड़ा अचरज होता है:

      इन काले चीन्हों से कैसे ये सब स्वर

      निकला करते हैं

 

संदर्भ– प्रस्तुत पंक्तियों हमारी पाठ्य पुस्तक कक्षा 11 काव्य खंड पाठ चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती   ली गई हैं इसके रचयिता कवि त्रिलोचन हैं

प्रसंग– प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने साक्षरता के महत्व से अनजान उसे वाले की लड़की चंपा के भाव का चित्रण किया है कभी को पढ़ना देखकर उसे हैरानी होती है व्याख्या- चंपा एक ग्वाले की लड़की है जिसे अक्षरों का महत्व नहीं पता है, उसके लिए यह अक्षर काले धब्बे के सिवाय कुछ नहीं है आशय है कि “करिया अक्षर भैंस बराबर” चंपा काले-काले अक्षरों को नहीं पहचानती जब मैं कभी पढ़ने लगता हूं तब वह वहां आकर खड़ी होकर सुनने लगती है उसे इस बात की लेकर बाद उसे इस बात को लेकर बड़ा अचरज यानी आश्चर्य होता है हैरानी होती है। इन कल चिन्ह अक्षरों से कैसे-कैसे स्वर निकल रहे हैं उसे अक्षर का महत्व समझ नहीं आता

 

2.     चंपा सुन्दर की लड़की है

         सुन्दर ग्वाला है : गायें-भैंसें रखता है

         चंपा चौपायों को लेकर

         चरवाही करने जाती है

         चंपा अच्छी है

         चंचल है

         नटखट भी है

         कभी कभी ऊधम करती है

         कभी कभी वह कलम चुरा देती है

         जैसे तैसे उसे ढूँढ़ कर जब लाता हूँ

         पाता हूँ-अब कागज़ गायब

         परेशान फिर हो जाता हूँ

संदर्भ– प्रस्तुत पंक्तियों हमारी पाठ्य पुस्तक कक्षा 11 काव्य खंड पाठ चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती   ली गई हैं इसके रचयिता कवि त्रिलोचन हैं

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने चंपा की चंचलता शरारतों का चित्रण किया है

 व्याख्या– कवि ने उसे चंपा की चंचल शरारती का वर्णन बहुत ही खूबी से चित्रण किया है चंपा सुंदर नमक ग्वाले पशु वाले पशु पालक की बेटी है सुंदर पेसे से ग्वाला है। उसके पास गाय,और भैंस हैं चंपा उन गाय भैंसों को चराने का काम करती है वह स्वभाव से बहुत अच्छी है, चंचल है और शरारती भी है। कभी-कभी वह अधिक शरारत करती है कभी-कभी वह कवि की कलम चुरा कर छुपा कर रख देती है और जब कवि  बहुत परेशान हो जाता है और उसे ढूंढ कर लाता है तो उसे पता चलता है। कि उसके कागज गायब हैं चंपा उन कागजों को छिपा लेती है इस प्रकार चंपा अपनी नटखट, शरारतों से लेखक को बहुत परेशान करती है।

3.     चंपा कहती है :

        तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भर

        क्या यह काम बहुत अच्छा है

        यह सुनकर मैं हँस देता हूँ

        फिर चंपा चुप हो जाती है

        उस दिन चंपा आई, मैंने कहा कि

        चंपा, तुम भी पढ़ लो

        हारे गाढ़े काम सरेगा

        गांधी बाबा की इच्छा है-

        सब जन पढ़ना-लिखना सीखें

        चंपा ने यह कहा कि

        मैं तो नहीं प द पढूँगी

       तुम तो कहते थे गांधी बाबा अच्छे हैं

       वे पढ़ने लिखने की कैसे बात कहेंगे

       मैं तो नहीं पढूँगी

संदर्भ– प्रस्तुत पंक्तियों हमारी पाठ्य पुस्तक कक्षा 11 काव्य खंड पाठ चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती   ली गई हैं इसके रचयिता कवि त्रिलोचन हैं     

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने चंपा को पढ़ने की लिए कहता है और वह कहता है कि गांधी बाबा ने कहा है किसी भी लोगों को पढ़ना-लिखना सीखना भविष्य में काम आएगा

व्याख्या– चंपा लेखक के को शिकायत भरे स्वरों में रहती है कि तुम इन कागजों को गोदा करते हो (लिखते पढ़ते) रहते हो क्या या लिखना-पढ़ना बहुत अच्छा काम है चंपा की यह बातें सुनकर कई को हंसी आती है। हंसने लगता है वह चंपा के बोध पर हंसता है फिर चंपा चुप हो जाती है। एक दिन जब चंपा कवि के पास आई कवि ने उससे कहा कि तुम भी पढ़ना लिखना सीख लो यह तुम्हें आगे कठिनाई के समय काम आएगा । कवि गांधी बाबा का हवाला देते हुए कहते हैं कि  गांधी जी को भी पढ़ना लिखना पसंद था। गांधी जी चाहते थे कि सभी लोग पढ़ना लिखना सीख लें। चंपा अपने सरल स्वभाव से कवि को उत्तर देती है चंपा कहती है कि तुम तो कहते थे कि गांधी बाबा अच्छे हैं। फिर वह पढ़ने लिखने की बात क्यों करते हैं,तो वह फिर अच्छे कैसे हैं, मैं तो पढ़ाई लिखाई को अच्छा नहीं मानती इसलिए नहीं पढ़ूंगी।

 

 4.    मैंने कहा कि चंपा, पढ़ लेना अच्छा है

        ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी,

        कुछ दिन बालम संग साथ रह चला जाएगा जब कलकत्ता

        बड़ी दूर है वह कलकत्ता

       कैसे उसे सँदेसा दोगी

       कैसे उसके पत्र पढ़ोगी

       चंपा पढ़ लेना अच्छा है !

संदर्भ– प्रस्तुत पंक्तियों हमारी पाठ्य पुस्तक कक्षा 11 काव्य खंड पाठ चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती   ली गई हैं इसके रचयिता कवि त्रिलोचन हैं

प्रसंग– प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने उस ग्वाले की लड़की चंपा को समझता है

 व्याख्या– कवि चंपा से कहता है कि पढ़ना लिखना अच्छी बात है जब तुम्हारा विवाह हो जाएगा और तुम अपनी ससुराल जाओगी तब  कुछ दिनों तक तुम्हारा पति तुम्हारे साथ रहेगा और उसके बाद वह कमाने के लिए कोलकाता चला जाएगा तुम जानती हो कोलकाता बहुत दूर है वहां तुम्हें तुम ही बताओ कि तुम अपने पति को संदेश कैसे भेजोगे तब तुम ही बताओ कि तुम अपने पति के उसे पत्र को कैसे पढ़ोगे कभी काफी समझाने का प्रयास करता है कहता है इसलिए तुम पढ़ना लिखना सीख लो पढ़ना लिखना अच्छी बात है

 

5.     चंपा बोली : तुम कितने झूठे हो, देखा,

        हाय राम, तुम पढ़-लिख कर इतने झूठे हो

        मैं तो ब्याह कभी न करूँगी

        और कहीं जो ब्याह हो गया

        तो मैं अपने बालम को सँग साथ रखूँगी

        कलकत्ता मैं कभी न जाने दूँगी

        कलकत्ते पर बजर गिरे।

       

संदर्भ– प्रस्तुत पंक्तियों हमारी पाठ्य पुस्तक कक्षा 11 काव्य खंड पाठ चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती   ली गई हैं इसके रचयिता कवि त्रिलोचन हैं

प्रसंग-कवि ने इन पंक्तियों में चंपा जो पढ़ना- लिखना नहीं चाहती, वह पढ़ाई के लिए उदासीन है उसकी पढ़ने की इच्छा नहीं है, वह पढ़ाई के महत्व से अनजान है फिर भी कवि ने उसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया है,और शादी, गौना, पति का हवाला देते हुए तब कहा है। तब चंपा कहती है

व्याख्या– चंपा लेखक को झूठ कहती है बड़े आश्चर्य से कहती है कि हाय! राम तुम कितने झूठे हो। पढ़ लिखकर भी मेरे साथ छल कपट भरी बातें कर रहे हो। मैं तुम्हारी बातों में नहीं आऊंगी तुम विवाह का नाम लेते हो मैं विवाह नहीं करूंगी। और यदि मेरा विवाह हो भी गया तो मैं अपने पति को अपने पास रखूंगी।उसे मैं कोलकाता नहीं जाने दूंगी। वज्र गिरे कोलकाता पर मतलब पत्थर गिरे बड़ी विपत्ति आए कोलकाता पर

 

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